प्रदूषण बोर्ड बताएगा, नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण का क्या असर हुआ है
सेहतराग टीम
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को निर्देश दिया कि 2010 से नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण के बुरे प्रभाव से जुड़े सभी अध्ययनों को अपनी वेबसाइट पर डाले। न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ को वायु प्रदूषण के मामले में न्यायमित्र के तौर पर काम कर रहीं वकील अपराजिता सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य और पर्यावरणीय प्रदूषण के आर्थिक प्रभाव के बारे में भारत में कई अध्ययन हुए हैं लेकिन वे सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं हैं।
पीठ ने कहा, ‘प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के बारे में क्या कोई अध्ययन किया जा रहा है? संभवत: प्रदूषण रोकने के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर जो खर्च किया जा रहा है उससे कहीं ज्यादा हम लोगों के उपचार पर खर्च कर रहे हैं।’
इस पर अदालत के सहयोगी एक और वकील ने कहा कि कई भारतीय रिपोर्ट मौजूद हैं जिसमें प्रदूषण के लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर संकेत हैं।
एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए वकील ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एक संस्थान की तरफ से कराए गए अध्ययन के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण कैंसर भी हो सकता है।
सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि 2010 से लेकर अब तक यानी पिछले 8 वर्षों में प्रदूषण ने नागरिकों के स्वास्थ्य पर क्या असर डाला है इसके बारे में बोर्ड सारी उपलब्ध रिपोर्ट्स को अपनी वेबसाइट पर डाले।
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